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🕯️उत्सव💡

उत्सव,जब कोई खुद को समझ कर अपने ही जीवन को उत्सव मय बना ले, हम खुद को कैसे समझते सकते है जब किसी के जीवन मे यह ज्ञात हो जाए कि जिसने उन्नति को प्राप्त कर लिया है वो किसी और अपनी उन्नति देना नही चाहता, पर यँहा उन्नति स्वयं के द्वारा आवश्यक होती हैं, जब किसी की सहायता से,कुछ प्राप्त हो और वह यह बार बार बताए कि मैने आपकी सहायता की है तब उत्सव घटित होने हर बार समय लग जाता हैं, यहां देने वाले कि इच्छा सामने या अनजाने में प्रकट होती हैं तब उत्सव घट नही पाते तब वे पूर्णता की कसौटी पर खरे है या नही इस बात अनुमान मात्रा लगाने में समय को लगा देते है, फिर उत्सव कैसे मनाया जाए उत्सव,साहस समझ शांति और धन का प्रतीक हैं, तन,मन,धन,और इन सब को मिला कर धन, क्योकि अधिकार तब बनता हैं जब स्वयं समर्थ बने, कैसे बनोगे पैदा होने से लेकर पूरे जीवन मे और फिर मृत्यु में भी किसी न किसी की जान कर या अनजाने में सहायता मिलती ही है, तो जब हम मित्र वत व्यवहार को समझ लेते है, और क्रोध या नफरत या अन्य ऐसे प्रवृति जो हमे ऐसे पल में रखती हैं जब हम इन पर सामंजस्य स्थापित करते है तब इसे, उत्सव कहते है, यह जान लेते है कि दूसर