अक्सर क्रोध तकलीफ का कारण बनता हैं,फिर भी, सकारात्मक दिशा में हो तो,सही रास्ता दिखा सकता हैं, ज़िन्दगी अक्सर तकलीफ ही देती हैं,विशेष रूप से,जब हमे पता हो कि हम खुद सिर्फ किन्हीकारणों से इसमें घिरे हुए हैं,अब यहां समस्या यह है कि,प्रत्येक बात जों भी कहते है वह, कही शांत या क्रोधित कैसे हो सकती हैं, जैसे कि कुछ लोग मिल कर कोई जश्न मना रहे होते है,तब, किसी विशेष की उपस्थिति किसी से निकलने वाले क्रोध को अलग दिशा दे देती हैं,तब क्रोध ही शांत रूप ले लेता,और जब वह व्यक्ति न हो तो क्रोध नुक़सान करता है,अब मानव शरीर में इन मानसिकताओं को उत्पत्ति के समय है डाल दिया जाता हैं, तो जिस जगह रहने वाले परिवार क्रोधित होंगे तब उत्पन्न भी क्रोध होता हैं,इसी बीच जब शांत वातावरण होता हैं,तब शान्ति होती हैं, तो क्रोध और शांति एक दूसरे के साथ होते है,मतलब विपरीत परिस्थिति साथ होती हैं तब भी जीवन और मृत्यु क्रोध और शांति की तरह निर्वाह करते है,😓 मल्लिका जैन