कितना कुछ है बुद्ध के बारे में पर जिस व्यक्ति ने जन्म इतने शानोशौकत में लिया हो वह व्यक्ति और जिसने असीम सुख देख और भोगा वो कभी दुःखी हो सकता हैं क्या?शायद नही,फिर जब दूसरे दूसरे इंसानों या फिर दुःखी परिस्थितियों को देखा तो क्या उन्हें इतनी तीव्र वेदना हुई कि वे सुख का अहसास भूल गए, या शायद उसे जानना चाहा होगा जिसके कारण दुःख उत्पन्न होता हैं, यथार्थ में ऐसा ही उन्होंने समझ भी लिया तो, फिर जीते कैसे रहे होंगे यह प्रश्न कठिन है क्योंकि समझ वही पायेगा जिसने इस दुःख को भोगा हो और कोई क्यो इस दुःख को बर्दाश्त करेगा, फिर भी जब बुध्द ने ये सब साध लिया तो क्या उन्होंने कभी भी ये चाहा होगा कि कोई मनुष्य इसको भोगे नही इसलिए निर्वान का मार्ग निकाला,पर जब कोई क्यो निर्वाण की तरफ जाता हैं 1 सुख भोगते हुए ऊब गया 2,ऐसे सवाल जिनके जवाब कोई दूसरा दे नही सका 3,सब कुछ जान और समझ लेने के बाद उचित को क्या करना चाहिए और क्या नही 4,अब मार्ग में जो जरूरत है वे कैसे पूरी होंगी, (यहाँ जरूरत न सिर्फ शरीक रहन सहन की, बल्कि आद्यात्मिक जीवन की भी है)। 5,क्योकि निर्वाण (आद्यात्मिक जीवन)आसान नही है कितना