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🙄सोचते हैं क्या कभी बुद्ध दुःखी होते थे🤔

कितना कुछ है बुद्ध के बारे में पर जिस व्यक्ति ने जन्म इतने शानोशौकत में लिया हो वह व्यक्ति और जिसने असीम सुख देख और भोगा वो कभी दुःखी हो सकता हैं क्या?शायद नही,फिर जब दूसरे दूसरे इंसानों या फिर दुःखी परिस्थितियों को देखा तो क्या उन्हें इतनी तीव्र वेदना हुई कि वे सुख का अहसास भूल गए, या शायद  उसे जानना चाहा होगा जिसके कारण दुःख उत्पन्न होता हैं, यथार्थ में ऐसा ही उन्होंने समझ भी लिया तो, फिर जीते कैसे रहे होंगे यह प्रश्न कठिन है क्योंकि समझ वही पायेगा जिसने इस दुःख को भोगा हो और कोई क्यो इस दुःख को बर्दाश्त करेगा, फिर भी जब बुध्द ने ये सब साध लिया तो क्या उन्होंने कभी भी ये चाहा होगा कि कोई मनुष्य इसको भोगे नही इसलिए निर्वान का मार्ग निकाला,पर जब कोई क्यो निर्वाण की तरफ जाता हैं 1 सुख भोगते हुए ऊब गया 2,ऐसे सवाल जिनके जवाब कोई दूसरा दे नही सका 3,सब कुछ जान और समझ लेने के बाद उचित को    क्या करना चाहिए और क्या नही 4,अब मार्ग में जो जरूरत है वे कैसे पूरी होंगी,    (यहाँ जरूरत न सिर्फ शरीक रहन सहन की, बल्कि      आद्यात्मिक जीवन की भी है)। 5,क्योकि निर्वाण (आद्यात्मिक जीवन)आसान नही है कितना

संसार और फिर से न जीवन न मौत

🌾🌿तथागत की कई कहानियां धम्म पद में और उनके कई ग्रंथो में लिखी गई हैं जिन्हें लगभग ऐसा लिखा या कहा मेने ऐसा सुना, तो तथागत  ने जो भी बताया वह उतना ही सार गर्भित आज भी है, जब तथागत महल में थे तब भी वे यह नही जानते थे कि दुःख जैसा भी कुछ होता हैं, और जब महल छोड़ दिया तब वे यह जनते थे कि सुख को छोड़ दिया और दुःख को कैसे सहन या कैसे उसके साथ जीना है यह जानने के लिए वन को गए वँहा भी कई सम्मानित लोगो से मीले और बहुत कुछ सीखा, पर जब उन्हें कोई जवाब न मिला तो उन्होंने स्वयं ही अपनी  एक नई राह चुनी,वो राह क्या है यह भी उनके या सुने गए फिर लिखे गए कई बातों से स्पष्ट है पर उन्होंने वास्तव में क्या पाया होगा यह में अपने ही शब्दों में लिख रही हूं🌾🌿 "जीवन ,जब महल में थे तब राग रंग और सुख के सिवा उनके पिता ने उन्हें कुछ भी देखने ही नही दिया,तो क्योकि वे एक ऐसी स्थिति में रहे होंगे जब उन्होंने जन्म या जीवन को जान लिया कि कोई अणु जब सक्रिय होता हैं तो वह जीवन कैसे बनता है शायद गर्भ के सिद्धांत को पूर्ण रूप से समझ लिया था, फिर जब वे वन में तपस्या कर खुद को तैयार कर रहे थे तब स्वयं के अनुभव से यह ज

🤠समस्या और समाधान😷

हर बार कोई न कोई समस्या उत्पन्न हो सकती हैं, पर उसके समाधान भी होते है, अक्सर व्यक्ति की सोच कही किसी और से प्रभावित हो सकती हैं,पर जरूरी नहीं है कि वह देर तक बनी रहे उसी प्रकार वयक्ति की दीन चर्या प्रभावित होती हैं, फिर वह किसी एक पैटर्न की तरह बन सकती हैं, यह बेहतर और बेहतर अनुभव के साथ सतत विकास की ओर आकर्षित होती हैं, क्योकि हर बार समस्या का कोई न कोई हल उपाय खोजना ही होता हैं, और बुद्ध ने हमेशा इस बात को समझने और समझाने का प्रयास किया है, उन्होंने देवी देवता या अन्य से इनकार नही किया और उन्हें सही राह पर  हमेशा चलने को प्रेरित किया, क्योकि जब कोई बुद्ध की इस्थिति में होता हैं तब वह वास्तविक समस्या और उसका वास्तविक समाधान जानते है😇 🌼मल्लिका जैन🌺

बुद्ध पूर्णिमा

जिन्हें हम बुध्द के नाम से जानते है, उनके उत्सव में ज्यादातर तर मानने वालों ने उसे अपनी भक्ति के अनुसार मनाया,पर सवाल ये है कि कितने लोग उन्हें सच में समझ पाते है, उन्होंने ने अपनी सेल्फ रिस्पेक्ट कभी नही त्यागी और न ही किसी को ऐसे रास्ते पर चलने को कहा, बुद्ध और महावीर दोनो ही सम कालीन थे जंहा महावीर अत्यंत ही कठिन रास्ते पर चले और अपना सर्वस्व त्याग दिया वंही बुध्द ने मध्यम मार्ग को चुना,फिर भी दोनो ने कभी किसी की बुराई नही की दोनो जानते थे कि समय बदल जाता है पर, उन्होंने हमेशा मानवता का साथ दिया,बावजूद इसके की वे दोनों इस सब से परे थे,किसी मे भी  इन्वॉल्व नही थे सदैव ही पास आने वालों को सत्य बात  देते थे, और उतना ही बताते जितनी जरूरत होती, ऐसा ही एक सत्य ,,, वर्तमान बुद्ध क्या इस इस्थिति में है, जो कुछ भी बता सके तो जवाब है हा जो बुद्ध बन गया वो यह बात सकता हैं कि उसके मानने वाले क्या करें कि उन्हें वह प्राप्त हो जो वे चाहते है।।। 🌸मल्लिका जैन🌷

🔶वर्तमान विज्ञान और धर्म😂

🌟आधुनिकता के विकास के साथ,धर्म भी परिवर्तित होता हैं, अब यदि व्यक्ति स्वयं प्रयास करें तब भी आस पास के वातावरण के साथ कनेक्ट हो सकता हैं,पर यह जरूरी नहीं है, सब वैसे हो, इस बारे में,  " 1 पाने कि इच्छा " इस बात को समझ ने कि कोशिश करते है,की (क्या कोई भी व्यक्ति क्या कर सकता हैं), अपनी इच्छनुसार किस पद,व्यवस्था,आदि, जिसमे जीवन से संबधित सभी आवश्यक सुविधाएं या ये कहे और समझें कि,समुचित विकास के साथ आगे बढ़ना चाहते है,यह ही मात्र सच सभी को प्रतीत होता हैं,और ऐसा है भी, अब जब हम ध्यान से देखे तो इसमें ही कई, बातों को, समावेश हो जाता हैं, इसमें से ही अन्य बातें उत्पन्न होती हैं, जिसे हम सब सफलता के नाम या जीत या विकास आदि कई नामों से जानते और समझते है, जिससे प्रतिस्पर्धा उत्पन्न होती हैं और इसे समाज आसानी से स्वीकार करता है जबकि इसमें छिपी बातों को, समझ नहीं पाते। (इसमें, मानव विकास की वह श्रृंखला जुड़ जाती हैं,जिसे लोग अक्सर विज्ञान के परिवर्तन से और जन्म से समझ ने कि कोशिश भी करते है) 👍 जिनमे ये बाते अनायास ही शामिल हो जाती हैं 2 दुर्भावना 3 दूषित मानस भावना, आलस्य, निष्क्रियत