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मार्च, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

🎆आनन्त ✨

😀अन्नत क्या इसे जाना और समझा जा सकता हैं, क्या इसका अपना कोई समय या स्थान होता हैं क्या इसे किसी की जरूरत है क्या है ये, ये सवाल किस के मन मे उठते रहे है और कौन इसके जवाब मांग रहा है? इतने सारे सवाल जो निरुत्तर से है वे अनन्त से पूछ रहे मालूम होते है तो,सच अक्सर कड़वा होता हैं जिसे जब समझ ही नही आ रहा तो क्या जवाब दे😁आश्चर्य इस बात पर है कि सदियों के पसरे पड़े तमाम निरुत्तर कहि तो जाएंगे ही,जवाब वही अन्नत और सवाल वही अन्नत तो आज अन्नत से अन्नत के सवाल जवाब, आज यँहा किसी जीवित या मृत के प्रश्न नही है, ये प्रश्न वास्तव में अन्नत के जो सिर्फ अपनी विभिन्न वृहद व्यवस्था से गुज़र चूका है और किसी वृहद व्यवस्था से गहन विचार से पुनः प्रवेश करता है, इसके पास स्वतः का कोई कार्य नही फिरभी अस्तित्व तो है, तब कैसे इसका निराकरण हो, इस अन्नत को फिर से कोई अनन्त बनाना है, तो निर्माण पुनः व्यवस्थित नही होगा, क्योकि ये ऐसे ही रहता हैं, पर इसके साथ ही जब ये बाकी से परे है तो भी अपनी व्यवस्था बना लेते है, जिन्हें हम लोग खगोल आदि से समझ ने कोशिश करते है पर ये अन्नत सर्व उपलब्ध नही हो सकता और कोई यँहा जाना नह

😁विश्वास🤔

विश्वास, किस पर किया जाए क्या किया जा सकता हैं और क्यो,विश्वास एक नाजूक और अत्यंत संवेदनशील  भावना है जो मुश्किल से प्राप्त होती हैं, जैसे प्रार्थना करने वाले को पता होता हैं कि वह, संबंधित अधिकार के लिए अपील संबंधित देवी या देवता या अन्य की विशेष से करता है तो उसका परिणाम उसे प्राप्त होता है,क्या होता हैं जब प्रार्थना अनसुनी रह जाए और हर बार सालो तक करने पर भी जवाब न मिले,तब विश्वास डगमगाने लगता हैं, और प्रार्थना करने वाले को लगने लगता हैं, जिससे वे प्रार्थना कर रहे है वह है ही क्योकि इतने समय तक तकलीफ़ तो वह भोग ही चुका, इस बात को कैसे समझा जाए,यह एक जटिल प्रश्न है जिसका जवाब भुक्तभोगी अत्यंत तीव्र तकलीफ के कारण कष्टमय मन से सहता है,तब कही न कही मन मे शत्रुता भाव भी पैदा हो जाता है यह होता विश्वास का परिणाम, और जब यही बात समस्याओं के निराकरण पर लागू होती हैं तब विश्वास प्रबलता से और गहरा हो जाता हैं, यह दोनों प्रक्रिया 2 तीव्र संवेदना व्यक्त करती हैं यह सम्मान और अपमान दोनो ही इसके परिणाम में आते है लेकिन सम्मान सुख दायक और अपमान दुःख दायक होता हैं, जिसमे किये गए समस्त प्रयास शामिल हो

🤔हरफनमौला🤗

क्या है जो बुध्द को पता चल गया था, शायद हरफनमौला जैसा कुछ मतलब उस समय मे बुध्द वह सब जान गए थे,जो आज के लोग या अधिकृत वर्ग समझ मे आने और जानने की कोशिश करता है यँहा मेरा मतलब वह प्रयोग और उनकी शरीर से संबंधित  सारी जानकारी जो किसी को यूनिवर्स से जोड़ती है जैसें जब कोई ध्यान या शरीर को अत्यधिक कष्ट दे कर तपस्या से प्राप्त करता है तो वह जो प्राप्त करते है वह किसे बताने और समझने योग्य हैं और किसे नही, यँहा उस समय मे भी ऐसे कई तरह के व्यक्ति रहे होंगे जो अमूमन अपनी ही बात करते रहे होंगे,और उसे साबित करने के वृहद प्रयोग,तो यह सिर्फ बुध्द ही कर पाते थे क्योकि वे पर्यावरण जो पृथ्वी पर है, जो इस पृथ्वी के बाहर याने जिसे हम बियॉन्ड कहते है उसे जान गए थे  विचार मंडल का महत्व और इस संसार मे जब प्रवाह उन्मुक्त हो जाते है तो इसका अर्थ क्या होता हैं, यह सब बुध्द समझ गए थे साथ ही क्योकि पृत्वी पर उतपन्न होने के कारण शरीर की विवशता से वे परे हो गए थे,उसे जान और समझ कर सब को नही बताते, क्योकि यह वास्तव में अन्य का विषय था ही नहीं।🤔 😊मल्लिका जैन😀

😂दर्द और निवारण😀

दुःख को परिभाषित करना मुश्किल नही है, फिर भी किसी की तकलीफ को कोई दूसरा ले नही सकता सिर्फ कोशिश करते है कम करने की, सहायता प्रदान करके पर जब किसी की सहायता भी दुःख को कम न कर सके तो यह समझ न पड़ता हैं कि सुख क्या है, यँहा भी वही  बात लागू होती हैं, कैसे सुख की अभिव्यक्ति होती हैं, यँहा सब के अपने तरीके हैं पर कोशिश रुकती नही वह चलती ही रहती हैं लगातार, दोनो तरफ से, यँहा सिर्फ सोच में परिवर्तन के साथ प्रयास में आवश्यक सामग्री भी निहित होती हैं 😊मल्लिका जैन🙏

🤔मीनिंग ऑफ ब्लीस😁

तथागत, नो वेरी वेल व्हाट इस कोस्ट ऑफ पीस एंड ब्लीस,  Today केसे किसी को चोट पहुच ए बिना क्या मानव सभयता या जीव जंतुओं को सम्हाल जा सकता है हा हो सकता हैं जब बाकी लोग भी, आर्गेनिक तत्वों का प्रयोग कर अपने को आगे बढ़ने की कोशिश करें, क्या कभी कोई धर्म स्वयं को बिना चोट पहुचाए या किसी के खाद्यान्न को न लिए बिना याने जब कोई देता हैं अपनी स्वयं की सहमति से तब क्या होता हैं स्वाभाविक रूप से जब यह होता हैं तो वे लोग जिन्हें जिम्मेदारी लेना पसंद नही वे क्या करते है, वे दूसरों से किस तरह मदत लेते है यह सिख कर पुनः उसे दोहराते है,और फिर पुनः अपने स्वार्थ में लग जाते है, यह ब्लीस को अलग ही रूप दे देता हैं।, इसलिए फिर कोई लोग शक्ति का प्रयोग करते है, यह भी ब्लीस को अलग ही रूप दे देता हैं, जिसे लोगो द्वारा समझा ही नही जा सकता। फिर भी यथा सम्भव  ऑर्गेनिक तत्वों का प्रयोग अच्छा है,यह उन जरूरतों को पूरा करता है जो उम्दा तरह से बनती हैं Tathagata, No Very Well What Is Coast Of Peace And Bliss, Today, how can human civilization or animals be taken care of without hurting anyone, maybe when other people