😀अन्नत क्या इसे जाना और समझा जा सकता हैं, क्या इसका अपना कोई समय या स्थान होता हैं क्या इसे किसी की जरूरत है क्या है ये, ये सवाल किस के मन मे उठते रहे है और कौन इसके जवाब मांग रहा है? इतने सारे सवाल जो निरुत्तर से है वे अनन्त से पूछ रहे मालूम होते है तो,सच अक्सर कड़वा होता हैं जिसे जब समझ ही नही आ रहा तो क्या जवाब दे😁आश्चर्य इस बात पर है कि सदियों के पसरे पड़े तमाम निरुत्तर कहि तो जाएंगे ही,जवाब वही अन्नत और सवाल वही अन्नत तो आज अन्नत से अन्नत के सवाल जवाब, आज यँहा किसी जीवित या मृत के प्रश्न नही है, ये प्रश्न वास्तव में अन्नत के जो सिर्फ अपनी विभिन्न वृहद व्यवस्था से गुज़र चूका है और किसी वृहद व्यवस्था से गहन विचार से पुनः प्रवेश करता है, इसके पास स्वतः का कोई कार्य नही फिरभी अस्तित्व तो है, तब कैसे इसका निराकरण हो, इस अन्नत को फिर से कोई अनन्त बनाना है, तो निर्माण पुनः व्यवस्थित नही होगा, क्योकि ये ऐसे ही रहता हैं, पर इसके साथ ही जब ये बाकी से परे है तो भी अपनी व्यवस्था बना लेते है, जिन्हें हम लोग खगोल आदि से समझ ने कोशिश करते है पर ये अन्नत सर्व उपलब्ध नही हो सकता और कोई यँहा जाना नह