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मई, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

😂स्वयं की इच्छा😂

ज्यादातर समय मनुष्य जब आगे बढ़ने लगता हैं तो उसे कोई जो भी योग्य नही है, वह  रटा हुआ एक राग अलापते है जिसे प्रेम का नाम दिया जाता हैं और जिन्हें कुछ भी नहीं आता वो खुद को इस अंकेन्डिशन लव की आड़ लेकर स्वयं को उस से बेहतर बताते है जो वो खुद नही होते,अब प्रश्न यह उठता है कि क्या जो जीव को यह समझ मे नही आता कि यह संबंधित व्यक्ति क्या चाहता है, आता हैं पर जो लोग किसी दूसरे पर इस तरह से अतिक्रमण करते है वे ही स्वयं को योग्य साबित करते है जबकि होते नही,जीवन के रहस्य आसानी से हर किसी को नही मिलते इसके परिणाम स्वरूप कही क्रोध का जन्म हो सकता हैं या फिर अस्तित्व पर ही प्रश्न चिन्ह लग जाता हैं तो जब कोई जवाब नही मिलता हैं क्या किया जाये और जिनको इस बात का अहसाह भी नही की मर्यादा क्या होती हैं वे निश्चित ही किसी न किसी तरह की तकलीफ तो उठाये गे ही,जो दूसरों की शक्तियों को स्वयं लेते है बिन उसकी मर्जी के ऐसे लोग ही युद्ध को निमंत्रण देते है,जिन्हें ये लगता हैं कि वह व्यक्ति जो ठीक है और अपनी सुरक्षा करना जनता है वे उसे बार बार तंग करते है ये जीव माफी के काबिल नही होते, ये सिर्फ स्वार्थी होते है, बुद्

😁कार्य😀

 शुभकामनाएं बुद्ध के जन्म, ज्ञान निर्वाण दिवस की कार्य तो करना ही होता हैं, पर उसके परिणाम पर भी विचार करना होता हैं, बुध्द ने क्या कभी कार्य किये होंगे, तो जवाब हा में ही है, बुद्ध स्वयं के तरह से कार्य करते और करवाते भी थे,जब कोई उनकी बातों को सुनता तो वे उसे अपने को उस स्तर को समझ कर बताते थे इसलिए उस सम्बंधित व्यक्ति या भगवान या अन्य के कार्य होते थे, यह सच आज भी उतना ही सत्य और सटीक है। 😀मल्लिका सिंह😁

😁यात्री और यात्रा😁

समय एक ऐसा परिणाम है जो अनन्त है,पर कई ऐसे के प्रमाण मिले हैं जिसमे यह पता चला है कि इससे परे भी जाया जा सकता हैं, विश्वास करना अच्छा है पर अंध विश्वास उचित नही,जो खुद को किसी का दास बना दे ऐसी व्यवस्था ही अक्सर चलती हैं, इसका उदाहरण यह है कि आप किसी न किसी की व्यवस्था के अनुसार चलते हैं जो या तो स्वीकार होती या नही,जो ये व्यवस्था बनाते है वे खुद भी इसी व्यवस्था से आगे निकल आते है फिर जब कोई अपने नियम या निर्णय स्वयं करता है तो स्वयम ही अपने कार्यो के लिए उत्तरदायी बन जाता हैं,पर क्या वास्तव में ऐसा होता हैं, यह कोई जान नही पता और जो जानते है वे इसका कोई सही हल नही बताते, क्योकि वे लगातार ऐसी प्रक्रिया का निर्माण करते है जो पुनः पुनः किसी निर्धारित कार्यवाही की तरफ ले जाती हैं तब, परिणाम मन मुताबिक न हो तो इसे स्वीकार नही किया जा सकता,और व्यक्ति पुनः अपने प्रयासों में लग जाते है यह प्रक्रिया हर बार समय और परिश्रम दोनो ही लेती हैं साथ ही उसमे लगने वाला प्रयास के वंचित परिणाम पर भी प्रभाव डालती हैं 😁मल्लिका सिंह😁