बुद्ध और तारा एक दूसरे के सहयोगी है जब भी जंहा भी बुध्द होते है तारा होती हैं, ये दोनों जब भी उपस्थित होते है,ऐसा कोई भी कार्य जो असम्बभव प्रतीत होता हैं, वह कुछ ही पलों में संपन्न हो जाता हैं यह यथार्थ में सत्य है, बात यह है कि क्या कोई इतना समर्थ वान है जो उस स्तर पर पहुंच सके क्योकि उस सम्बंधित व्यक्ति का उतना समर्थ वान होना आवश्यक है, नही तो सिर्फ एक शिकायत रह जायेगी की मेरे पूजन के उपरान्त भी कार्य सम्पन्न नही हुआ, यह अत्यंत ही संवेदनशील और उच्च स्तर पर संभव होता हैं कुछ ही पलों में रास्ते खुलते हैं और बंद हो जाते है, 😀 😁ॐ तारे😀😁 😁मल्लिका जैन😁