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जून, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

🍋तारा और बुद्ध🍊

बुद्ध और तारा एक दूसरे के सहयोगी है जब भी जंहा भी बुध्द होते है तारा होती हैं, ये दोनों  जब भी उपस्थित होते है,ऐसा कोई भी कार्य जो असम्बभव प्रतीत होता हैं, वह कुछ ही पलों में संपन्न हो जाता हैं यह यथार्थ में सत्य है, बात यह है कि क्या कोई इतना समर्थ वान है जो उस स्तर पर पहुंच सके क्योकि उस सम्बंधित व्यक्ति का उतना समर्थ वान होना आवश्यक है, नही तो सिर्फ एक शिकायत रह जायेगी की मेरे पूजन के उपरान्त भी कार्य सम्पन्न नही हुआ, यह अत्यंत ही संवेदनशील और उच्च स्तर पर संभव होता हैं कुछ ही पलों में रास्ते खुलते हैं और बंद हो जाते है, 😀 😁ॐ तारे😀😁 😁मल्लिका जैन😁

😀नियामत😁

ब्लिस या नियामत इसे समझ ना और तथाकथित किंवदंतियों को समझ कर जो पसंद या उचित नही उसे अलग कर देना और सही बात को स्वीकार कर लेना ये भी अक्सर ऐसे लोगो का खिलौना बन जाता हैं जो इस बात से सहमत हो कर भी सहमत नही होते,मतलब की  वे किन्ही बातों को बोलना ही नही चाहेगे तो अब ब्लिस कैसे प्रप्त हो, क्या दवाई क्या दुआ या फिर स्वयं मृतयू या फिर जन्म या विवाह प्रस्ताव सभी के पास होते है  कोई किसी को स्वीकार करता है और कोई किसी को फिर भी पुनः प्रयास जारी रहते है किसी उचित स्थान पर पहुंच ने बाद भी  😁 😁 मल्लिका सिंह💎

😁वक्त की बात😁

बुद्ध समय मे जा सकते और समय के साथ किन्ही में परिवर्तन कर सकने में समर्थ होते है यह सच है पर क्यो यह करना चाईए यह विचार योग्य प्रश्न है, यँहा व्यवस्था का मतलब और समय का मतलब सिर्फ बात को साबित करना नही होता, क्योकि जो लोग किसी को दिया हुआ वापस ही नही करना चाहते तब क्या किया जाए तब परिवर्तन करना पड़ता हैं, पर जब यह समझ के आ जाये कि विवाद का कारण यह नही की सत्य क्या है, बल्कि यह है कि जिन्हें दया या भूल वश कुछ मिल गया था वे ही अब उस प्राप्त को अपना समाझ ने लगे तो,क्या बुध्द इस तरह के विवाद से भी निपट सकने में समर्थ हैं तो जवाब हा है, पर जब कोई हर समय यह बताया करें कि दया और करुणा बस मूर्ख या ऐसे लोगो का अधिकार है जो कि स्वयं समर्थ नहीं तब,उन्हें बताने के लिए बुद्ध किसी को कुछ भी साबित किये बिना सिर्फ अपना कार्य कर देते है, औऱ जिन योग्य को अयोग्य साबित किया जाता हैं वह स्वयं ही साबित हो जाता हैं, यह न्याय व्यवस्था भी होती हैं  क्योकि व्यवस्था बना कर रखना है और नियम बनाना यह वे स्वयं कर सकते है जो समर्थ होते है इसका मतलब यह नही की जिन लोगों ने कुछ भी किया हो वे उस के अधिकारी हो गए है😀😁 😁

😃समस्याओं का अंत😁

हर दिन विचार करते है कि समस्याए का निराकरण कैसे हो सकता हैं, पर कही न कही कुछ ऐसा होता हैं जो विचार,व्यवहार और व्यवस्था में सुधार के साथ चलता है जिनका व्यवस्था आवश्यक होती हैं जिनमे सुधार की जरूरत होती हैं, पर कोई उन्हें करना नही चाहते ,किसी का कुछ और किसी का कुछ जिस कारण से एक ऐसा तारतम्य व्यवस्थित होता हैं जो सदैव ही सुधार की इस्थित में होता हैं, जिन्हें सुधारना ही होता हैं, पर बात यँहा पर रुकी होती हैं कि उत्तरदायित्व कौन उठायेगा, सहायता किसे मिलनी चाहिये और किसे नही यह भी विचारणीय प्रश्न बन जाता हैं ऐसे सवाल और जवाब की तरह जो कभी तो सदैव ही सवाल होते है और जो कभी ऐसे सवाल जिनके उत्तर सामने ही होते है पर समझ और उपयोग में लाना आसान कैसे बने इस बात पर रुके होते है, जब बात बुध्द की हो तो वे सदैव ही ऐसी  व्यवस्था के साथ चले जो किसी पर लादी न जाये बल्कि व्यवहार में और प्रयोग और उपयोग में आसन हो मतलब जिसे किसी उत्तरदायी व्यक्ति से करवाया जाए और उचित को उसका लाभ प्रप्त हो सके। 😀मल्लिका singh har din vichaar karate hai ki samasyae ka niraakaran kaise ho sakata hain, par kahee na kahee kuch